Sunday, 23 July 2017

प्यार v/s प्यार


एक बार चाय पीते वक़्त चाय के ठेले पर लोगों से जान- पहचान सी हो गयी, ठेला बोलो या चाय की दुकनिया, वो नार्थ कैम्पस वालों के लिए वार्तालाप का अड्डा थी|  शहर था दिल्ली, तो लोगों का थोडा एडवांस होना स्वाभाविक था| उस अड्डे पर बड़े-बड़े विद्वान आकर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े मुद्दों पर विचार विमर्श करते और चाय की चुक्सकियों के साथ हर मुद्दे को घोल कर पी जाते| कुछ लोग हाथ फैला फैला कर बाते बनाते और सभी को यकीं दिलाने की उम्मीद से हर तरफ अपना सिर हिलाकर सहमती जताने के लिए उकसाते| परन्तु उनमें से कुछ महानुभाव ऐसे भी थे जो सारे वृतांत को सुनते और अंत में अपना निर्णय सुना कर चलते बनते| अगर गिनती की जाये उनमे सिर हिलाने वालों की तादात ज्यादा थी|

एक दोपहर चाय पीने की लालसा लिए हम भी उस दुकनिया पर पहुचे, वो विद्वान, जिनकी चर्चा हमने पहले की थी, उनका ज्यादातर समय चाय की दुकान पर वार्तालाप में ही निकलता| उस वक़्त भी एक बड़ी तादात में लोग वहीँ थे| हमने अपनी बत्तीसी दिखा कर सबका अभिवादन स्वीकार किया और आँखों में सम्मान भाव लिए उन्हें भी स्वीकारने को कहा| और एक कोने में पड़ी टूटी बेंच पर जा बैठे| अभी चाय  का आर्डर किया ही था कि अचानक पीछे से एक भनभनाती आवाज आई “सेक्स इज द पार्ट ऑफ़ लव” और फिर क्या था देखते ही देखते माहौल गरमा गया, लोग अपने अपने विचार रखने लगे| वाद- विवाद प्रतियोगिता शुरू हो गयी, कुछ पक्ष में तो कुछ विपक्ष में| बड़ी- बड़ी बाते हुई, कुछ ने अपना खुद का अनुभव सामने रखा तो कुछ सिर्फ किताबी ज्ञान के आधार पर अपने निर्णय सुनाने लगे, कई तो खुद को सही सिद्ध करने के लिए उत्तेजित हो गए, परन्तु उनकी उत्तेजना को दबा दिया गया|  कुछ लोग विपक्ष से पक्ष में आ गए और कुछ कूद कर पक्ष से विपक्ष में चले गए और सिर हिलाने वालों ने अपना सिर रफ़्तार से हिलाना शुरू कर दिया, कभी एक बार इधर हिला कर अपनी सहमती जताते तो दूसरी बार उस तरफ सिर हिलाते| अंततः निर्णय आया कि हाँ- प्यार यौन संबंधो का हिस्सा नहीं बल्कि यौन सम्बन्ध प्यार का हिस्सा हैं”|

मैं आपको बता दूँ कि कुछ समय पहले मैं एक ऐसे गाँव में थी| जहाँ फ़ोन का नेटवर्क भी पहाड़ों पर चढने के बाद मिलता, दूर दूर तक सिर्फ औरतें और पशु ही नजर आते, औरतें सुबह से शाम तक काम में व्यस्त और पशु घास चरने में| नहीं! मैं ऐसा कदापि नहीं कह रही हूँ जैसा आप सोच रहे हैं, वहां पुरुष जाति भी थी परन्तु उनको सिर्फ शाम ७ बजे से सुबह ७ बजे तक ही देखा जा सकता था| कुछ घरों में पुरुषों के काम की अगर में बात करूँ तो देसी दारू के नशे में औरतों पर आर्डर झाड़ना और उनकी पूर्ति होना यही उनकी मनसा रहती थी। आदेश पूर्ति न होने पर हिंसा का सहारा लेकर घर के माहौल को बिगड़ना उनका दूसरा काम था|

घर की छोटी बहू उर्फ़ मेरी मुहबोली भाभी जो की छोटी सी उम्र में ही एक बच्चे की माँ बन चुकी थी ,से मैंने पूछा कि भाभी प्यार क्या होता है? उन्होंने तपाक से उत्तर दिया दीदी जो टीवी में होता है, हीरो और हेरोइनी जो करते हैं| जवाब बिलकुल सही था, क्योंकि हमारे यहाँ वही तो प्यार होता है| दूसरा सवाल था कि क्या आपने कभी प्यार किया है ? उन्होंने जवाब थोडा मुह बनाकर दिया, दीदी हम इन बातों से बहुत दूर रहे हैं, हमने कभी किसी से प्यार नहीं किया| ये भी सही बात है, यही तो सिखाता है हमारा समाज| किताबों और फिल्मों के हिस्से में आ चुका है प्यार| तीसरे सवाल का जवाब सुन कर मुझे दुःख हुआ, सवाल था कि तो भाभी जी ये जो आपका बेटा है वो किसका फ़ल है? थोडा शर्म से लाल होती हुई उसने मुझे देखा, कुछ देर चुप रहने के बाद बोली, दीदी आप भी अजीब से सवाल पूछ रही हो इसमें प्यार वाली कौन सी बात है शादी के बाद तो ये सब होता ही है, अगर नहीं होगा तो किस औरत को सम्मान मिलेगा| हालाँकि जो सवाल मैंने पूछा था उससे जवाब थोडा सा अलग था, परन्तु उन्होंने जो जवाब दिया वो मेरे लिए खुद एक सवाल बन कर खड़ा हो गया और उसके बाद मैंने उनसे कुछ भी नहीं पूछा|

वो अपने काम में लग गयी| मैं उन्हें बहुत देर तक देखती रही और सिर्फ यही बात मेरे मन में चल रही थी कि गमछे की सच्चाई उन विद्वानों के अल्फाजों से कितनी अलग है ना जहाँ प्यार शब्द सुन कर ही लोगों में सिहरन हो उठती है वहीँ ये शब्द इनके लिए कोई धब्बा है|

Saturday, 22 July 2017

जाको राखे साईंयां मार सके न कोई|



जाको राखे साईंयां मार सके न कोई! यह कहावत सिर्फ कहने के लिए ही नहीं बनायीं| यक़ीनन लोगों के अनुभव और चमत्कारिक घटनायों ने इसे अंजाम दिया होगा तब ही लोग एक विश्वास पर पहुच पाते हैं| ऐसी ही एक कहानी आज आपको बताने जा रहे हैं वह एक १७ साल की बच्ची की है जो एक हवाई जहाज के क्रैश होने के बाद बड़े ही आश्चर्यजनक ढंग से बच गयी|

BBC के अनुसार, जर्मन-पेरुवियन जुलिआन कोएप्क सन १९७१ में अपनी माँ के साथ हवाई जहाज में यात्रा कर रही थी| जहाज अपनी गति से अमेज़न के ऊपर से निकल रहा था, तभी कुछ ऐसा हुआ की सभी बैठे यात्रियों के होश उड़ गए क्योकि जहाज को किसी चीज़ ने जबरदस्त हिट किया, वह और कुछ नहीं बल्कि आकाशीय बिजली जहाज पर आ कर गिरी थी, जिस वजह से जहाज में खराबी आ गयी और सभी यात्रियों के साथ जहाज ज़मीन पर आ गिरा|

यह हादसा जुलिआन के हाई स्कूल के एक रात बाद का है जब उनकी माँ उन्हें ले कर वापस क्रिसमस मनाने के लिए जर्मनी आ रही थी|  जुलिआन की हाई स्कूल की पढाई  ख़तम होने के बाद एक फंक्शन में शामिल होने मारिया उनकी माँ गयी थी और उसके बाद उन दोनों को जर्मनी आना था जहाँ उनके पिता रहते थे|

जुलिआन २ मील की दूरी से पृथ्वी पर आ गिरी| चमत्कारिक ढंग से, वह इस कहानी को बताने वही एक उस पूरे जहाज में थी जो बच गयी, परन्तु दुर्भाग्यवश उनकी माँ और सभी यात्री इस हादसे से नहीं बाच पाए|

आश्चर्य करने वाली बात यह थी कि जहाँ उनका जहाज क्रैश हुआ था वह स्थान अत्यंत भयावक और असम्भव परिवेश वाला था, जहाँ बिना किसी हथियार या सुविधा के १० दिन तक जीवित रहना महज़ एक सपना था क्योंकि वह जगह एक भयानक जंगल, जहरीले पेड़-पौधे. भूखे जंगली जानवर से भरा हुआ था||

कोई भी साधारण व्यक्ति का ऐसे परिवेश में जिंदा रहना संभव ही नहीं था, परन्तु जुलिआन कोई आम किशोरी नहीं थी| उसने घायल होने के बावज़ूद १० दिन तक ना ही सिर्फ जिंदा रही बल्कि उस जंगल को पार करके वह लोगों तक पहुची और मौत को मात दे दी|


जुलिआन का जन्म पेरू में हुआ था| उसके जर्मन पिता जीव विज्ञानी थे और पेरुवियन माँ पक्षी विज्ञानी थी| इसी वजह से उसने अपनी बहुत सारा वक़्त उनके अपने माँ-बाप के साथ अमेज़न के जंगलों में गुजरा था जहाँ वह अपने शोध को अंजाम देते थे|

अनजाने में ही सही परन्तु उसने अपने माँ-बाप के साथ इस गुजारे वक़्त में बहुत कुछ सीख लिया जो उसे इस जहाज क्रैश के समय काम आया| उसके सीखा कि कैसे विपरीत परिस्थियों से कैसे लड़ा जाये और उसमे खुद को जीवित रखा जा सकता है| उसको कभी नहीं पता था कि अनजाने में सीखे हुए ये कौशल उसे ऐसे काम आयेंगे जिससे वो खुद को बचा पायेगी|
जूलियन की माँ और पिता

जुलिआन ने BBC को बताया, जहाज बादलों के ऊपर से गुजर रहा था, जहाँ भयानक तूफान के साथ-साथ आकाशीय बिजली भी थी| इस घटना की गंभीरता का पता तब चला जब आकाशीय बिजली जहाज से आ टकराई| उसके बताया कि १० मिनट बाद बायें तरफ के इंजन से आग निकलने लगी| तब मेरी माँ ने बहुत ही शांत शब्दों में बोला- 'यही अंत है, सब ख़तम हो गया'| यही उनके अंतिम शब्द थे|

अगले ही पल उसने देख जहाज नीचे की तरफ जा रहा था वह अपनी माँ से अलग हो गयी, हर तरफ चिल्लाहटें थी| थोड़ी देर बाद आवाजें शांत हो गयी, उसने देखा वह जहाज से बाहर थी, और नीचे की तरफ रफ़्तार से गिरती जा रही थी| मैं सीट के साथ पेटी से बंधी हुई थी| उस वक़्त मैं सिर्फ हवा की फुसफुसाहट सुनाई दे रही थी|

ज़मीन पर आते ही उसने अपने होश खो दिए और अगले दिन तक वह बेहोश पड़ी रही| जब उसे होश आया तो उसकी गले की हड्डी टूटी हुई थी, कुछ गहरी चोटें उसके शरीर पर थी, परन्तु उसको सब याद था कि कल पिछले दिन क्या हुआ था|

उसने उस भयावक जंगले में १० दिन गुजारे| उसने अपने एक जूते (जो उस जहाज क्रैश में बच गया था) की सहायता सेमैदान का परिक्षण करते हुए जंगले को पार किया| वह जानती थी कि वह एक असत्कारशील परिवेश में है| जहाँ वो चरों तरफ बहयांक जानवरों और जहरीले पेड़-पौधों से घिरी हुई है|

उसे एक टाफियों से भरा बैग मिला जो उस प्लेन क्रैश में किसी का रहा होगा| उसने उन टाफियों की सहायता से उसने थोड़े पोषक तत्वों को बचा कर रखा| खुख लगने पर उन्हें खाया क्योकि वह जंगल से कुछ नहीं खा सकती थी|

चोथे दिन उसने जानलेवा अनुभव किया , जब उसने अपने चरों तरफ सिर्फ लाशें ही लाशें देखी यह लाशें उन्ही लोगों की थी जो इस  जहाज क्रैश में मरे थे| उसने बताया की इतनी साडी लाशों को देख कर वह पेनिक हो गयी क्योकि उसने अपने जीवन में पहले बार मरे हुए इंसान को देखा वो भी एक साथ इतने सारे|

उसके अगले कुछ दिन भी यूँ ही भयावक अनुभव से भरे हुए थे| एक तो अकेले भयानक जंगले में, शरीर पर छोटे और खाने के लिए भी कुछ खास नहीं और सबसे खतरनाक दिशाहीन रास्ते|

आखिरकार दसवे दिन वह कुछ लोगों की आवाज़ सुनकर जागी, जो कि लड़की काटने वाले लोग थे| जब उन लोगों ने उसे पहली नजर देखा तो सब के सब डर गए क्योंकि उनको लगा वह कोई भूत है| परन्तु भाग्यवश जुलिआन को स्पेनिश बोलना आता था तो उसने सारी स्थिति उन लोगो को समझा दी और उन लोगों ने उसे खाने को दिया और उसके घावों पर मरहम पट्टी भी की|

अगले दिन वह उसे उसके गन्तव तक ले गए जहा उसके पिता को उसको सोंप दिया गया, जिससे वह उसकी देखरेख कर सकें| जुलिआन की सहायता से उसकी माँ मारिया की लाश को भी खोज लिया गया परन्तु दुर्भाग्यवश उसकी माँ को ज्यादा गहरी चोटें रही होंगी इसलिए वह बच न सकीं|

जुलिआन ने अपनी माँ की विरासत को संभाल कर रखा और आज वह जीव विज्ञानी हैं|  पढाई पूरी करने के बाद वह अपने देश जर्मनी वापस आ गयी| इस दुर्घटना के अनुभव को वो कभी नहीं भूल सकती| उनका बचना उनके लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए चमत्कार था|

तब ही तो किसी ने ठीक ही कहा है- जाको राखे साईंयां मार सके न कोई|