Thursday, 18 May 2017

चाइना के कुत्ते-बिल्ली के मांस खाए जाने वाले त्यौहार पर रोक|


कुत्ते को दुनिया का सबसे फ्रेंडली जानवर माना जाता है| परन्तु चाइना को अगर देखा जाये तो इस बात से ताल्लुक नहीं रखते| चाइना में एक कुत्ते- बिल्ली के मांस खाने का त्यौहार मनाया जाता है, जिसमें उनके मुताबिक माने तो १० लाख  हज़ार से ज्यादा लोग भाग लेते हैं|



ये तस्वीरे जितनी दिखने में परेशान करने वाली हैं उतनी ही इन जानवरों के लिए दर्दनाक भी हैं| ये त्यौहार बहुत ही बड़े स्तर पर मनाया जाता है| जिसमे चाइना के सभी भागों से लोग हिस्सा लेते हैं|



वैसे तो इस त्यौहार के अलावा भी चाइना में कुत्ते-बिल्लियों का मांस शौकिया तौर पर खाया जाता है| वहां छोटे-छोटे बाज़ारों में कुत्ते-बिल्ली का मांस मिलना आम बात है|



गर्मियों  में आमतौर पर इसकी मांग बढ़ जाती है क्योंकि गर्मियों में लोग लोग ज्यादातर इनका मांस खाना पसंद करते हैं| और मजे की बाते देखे तो ज्यादातर कुत्तों के गले में पट्टा होता है इसका मतलब लोग अपने पालतू जानवरों को इस त्यौहार में बेच देते हैं|


काफी समय से कई एनिमल राइट्स वाली संस्थाओं की नजर इस त्यौहार पर थी| humane society international के अनुसार युलिन सरकार ने त्यौहार के समय कुत्ते-बिल्लियों के मांस बेचने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है| परन्तु यह प्रतिबन्ध हमेशा के लिए नहीं लगा है इसलिए एनिमल राइट्स संस्थाओं का संघर्ष अभी ख़तम नहीं हुआ| 

६२ दिन और १६ कैमरों का कमाल


सुना है  इस कला के पुजारी ने ६२ दिन इंतज़ार किया और अपने १६ कैमरों को लगा कर इस खुबसूरत तस्वीर को उतारा| चाँद और सूरज एक साथ वो भी दो खुबसूरत पेड़ों के बीच| ऐसा लग रहा है मनो दो शरीर और आत्माओं का मिलन हो रहा है और उनको उर्जा देने चाँद- सूरज आये हैं|

चित्र अपने आप में बोलते है और कभी कभी तो शब्दों कम पड़ते हैं परन्तु चित्र उन्हें अच्छे से समझाने में खरे उतर जाते हैं| कहावते गलत नहीं होती उनके पीछे यक़ीनन अनुभवों के सहारे होते हैं जैसे किसी ने कहा है- A picture is worth a thousand words.


परन्तु अभी तक मैंने इस कलाकार का नाम कही नहीं देखा- अगर पता चले तो ज़रूर बताये|


Wednesday, 17 May 2017

मुस्कुराता एक चेहरा- हिंदी फिल्मों की माँ रीमा लागू


रीमा लागू! नाम सुनते ही एक बड़ी सकारात्मकता के साथ एक मुस्कुराता चेहरा आँखों के सामने नाचने लगता है| जी हाँ! मराठी और हिंदी फिल्मों की जानी- मानी ५९ साल की ये अभिनेत्री ने जब से फ़िल्मी जगत में काम करना शुरू किया उसके बाद कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा, आज हमारे बीच नहीं रही| रात ३ बज कर १५ मिनट पर रीमा जी  ने अंतिम साँसे ली| उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई|
माँ, प्रेमिका, विलेन, सास हर तरह के किरदारों को निभाते हुए इन्होने सबको आनंदित किया| राज श्री प्रोडक्शन के तहत उन्होंने सलमान खां की माँ के रूप में कई रोले निभाए| जैसे मैंने प्यार क्यों किया, हम आपके हैं कौन आदि|

इन सबके के अलावा तू-तू, मैं-मैं में जिस तल्लीनता के साथ कॉमिक रोल को निभाया वह हमेशा याद किया जायेगा और श्रीमान-श्रीमती जैसे किरदारों के लिए रीमा जी को सराहा जायेगा|
रीम जी का अंतिम संस्कार मुबई में किया जायेगा| रीम लागू जी के निधन की जानकारी राजस्थान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और फिल्ममेकर कुणाल कोहली ने दी|

बंधनों को खोलता प्रेम

प्रेम की मिसाल आज से नहीं युगों-युगों से चली आ रही है| कृष्ण ने राधा, राम ने सीता, हीर ने राँझा, रोमियो ने जूलिएट, और न जाने कितने जिन्होंने प्रेम को परिभषित किया| जब भी इनकी कहानियों को हम सुनते हैं तो भाव-विभोर हो जाते हैं| प्रेम की दाद देना शुरू करते हैं|
हर ग्रन्थ, किताब या कहूँ व्यक्ति ने प्रेम को अलग-अलग तरीके से महसूस किया और इसे दुनिया की सबसे खुबसूरत भावना के रूप में बताया| कहते हैं सबरी ने राम को अपने झूठे फ़ल खिला दिए थे, और तो और मीरा ने कृष्णा के प्रेम में पड़ कर विष के प्याले को अमृत समझकर पी लिया था| ऐसे न जाने कितने उदाहरण है जिन्हें सिर्फ उन व्यक्ति विशेष ने जिया है औए अंत में जान देकर प्रेम को अमर किया है| अंत में त्याग ही हमेशा विजयी रहा है उसका कारण शायद यही है कि न तो आज और न ही युगों पहले लोगों ने इस खुबसूरत एहसास को स्वीकारा| 

रूमी ने प्रेम को जिस तरह परिभाषित किया, वह इंसान मात्र की कल्पना से परे रहा है| वस्तु से, मित्र से, कलम से, लिखने से, प्रेमिका से, आदि| अरे! ये कैसा प्रेम है जिसमे कोई शर्त नहीं, सिर्फ लगन ही लगन और वो भी ऐसी लगन जो सीधे प्रभु से मिलाने की बात करती हो| जिसमे प्रेम मिलने या एक होने की नहीं बल्कि सिर्फ समर्पण और प्रसन्नता भाव को प्राथमिकता देता हो|


आज के दौर में देखा जाये तो समाज ही तय करता है कि प्रेम किससे करना है, क्यों करना है और कैसे करना है | ऐसा लगता है मनो जैसे लोग भूल गए हैं कि प्रेम जैसे खुबसूरत एहसास को बन्धनों में बांध कर पवित्र नहीं रखा जा सकता| ये एक बहाव है जितना बहेगा उतना ही अपना प्रभाव छोड़ेगा| 
प्रेम ही एक मात्र सत्य है जो सबको जीना सिखाता है- आनंदमय जीवन


बिना शर्तों का प्रेम


कहते हैं प्रेम की कोई भाषा नहीं होती और ना ही प्रेम उंच-नीच, जाति-धर्म , घर-परिवार, रंग-रूप देखता| प्रेम अन्धा होता है और यह अंधापन वाला प्यार उस खुली आँखों वाले प्रेम से कहीं बेहतर है जहाँ लोग प्रेम नहीं शतों पर प्यार करते हैं|

वेश्या शब्द अपने समाज में कलंक की तरह है परन्तु देखा जाये तो हर व्यापार करने वाला आदमी- औरत वेश्य और वेश्या ही तो हैं- मतलब की व्यापारी| चाहे फिर वो व्यापार किसी वस्तु, स्थान या देह का ही क्यों न हो| इस दिल और आँखों में पानी देने वाली इस कहानी को मैंने इन्टरनेट पर पढ़ा और उसे खोजा जिसने ये कृत्य सब तक पहुचाया| जीबीएम् आकाश नाम के किसी शख्स ने इस खुबसूरत इंसान को खोजा और उसकी इस प्रेम से भी परे, अथाह प्रेम की कहानी को हम तक पहुचाया|

यह कहानी भी एक वेश्या यानि व्यापारी की है,चाहे मज़बूरी में ही सही परन्तु वो अपनी बेटी को पालने के लिए अपने धंधे में साथ बहुत ही ईमानदारी से काम करती रही और एक दिन कुछ ऐसा हुआ जो इंसानियत जो वो करती थी उससे भी बड़ी मिसाल बन गया|


बांग्लादेश की रहने वाली रजिया पेशे से व्यापारी थी| एक सुबह की पहली बेला, घनघोर बारिश हो रही थी, रजिया पेड़ के नीचे खड़े हो कर सूरज निकलने का इंतज़ार कर रही थी| आँखों में आंसू, खुद के लिए गुस्सा और लाचारी से रजिया न जाने कितनी बार चिल्लाई और रोती रही | लगा इतनी सुबह कौन उसे सुनेगा और देखेगा| कम से कम बारिश के शोर में ही सही, अपने अन्दर के गर्द को निकल सकती है| रजिया जल्द ही अपनी बेटी के पास जाना चाहती थी| अब वो नहीं चाहती थी कि वो फिर किसी अजनवी को मिले और कुछ वक़्त उसके साथ गुजारे| उसकी बेटी, जो हर रात माँ से जाते वक़्त एक ही सवाल पूछती_ माँ आप रात में ही काम करने क्यों जाती हो| उसका जवाब रजिया के पास नहीं था परन्तु हर दिन जाते वक़्त उसकी बेटी उसे गले लगाती|

रोती रजिया को पता ही नहीं चला कि सामने दूसरी तरफ एक शख्स व्हीलचेयर पर बैठा उसे देख रहा है| उसको जब आभास हुआ जब दूसरी तरफ से जोर से खांसने की आवाज़ आई| वह शख्स उसका ध्यान पाना चाहता था|| रजिया ने बिना आंसू पोंछे बोला मेरे पास पैसे नहीं है जो मैं आपको दे सकूँ| उस शख्स ने मेरी हथेली पर ५० टाका रखे और बोला की बारिश तेज़ होने वाली है जल्दी ही घर चली जाओ और अपनी व्हीलचेयर को धक्का लगता हुआ वो शख्स मेरी आँखों से ओझल हो गया| मैं स्तब्ध थी, जैसे काटो तो खून नहीं| पहली बार मेरे पूरे जीवन में किसी ने बिना मेरा इस्तेमाल किये मुझे कुछ दिया | उस दिन मैं बहुत दिल खोल कर रोई|

उस दिन के बाद मैं उसी पेड़ के नीचे उस शख्स को तब तक खोजती रही जब तक मैंने उसे पा नहीं लिया| मुझे पता चला कि उसकी पत्नी उसे छोड़ कर चली गयी क्योंकि वह अपाहिज है| बड़े साहस के बाद मैंने उसे बोला कि मैं शायद आपको दोबारा प्यार न दे पाऊं, परन्तु जीवनभर आपकी व्हीलचेयर को लेकर चलने को तैयार हूँ|
वो मुस्कुराया और बोला- बिना प्यार के  कोई व्हीलचेयर को धक्का नहीं दे सकता है|

आज हमारी शादी को चार साल हो चुके हैं| शादी वाले दिन उसने मुझे वचन दिया की अब तुम्हे मैं कभी रोने नहीं दूंगा| कभी-कभी एक वक़्त का खाना नहीं मिलता परन्तु हम हर दुःख- सुख में साथ है| आज हमें एक तस्तरी खाना मिला पर हमने उसे एक साथ मिलकर खाया|

उस अनजान व्यक्ति के वादे ने मुझे फिर कभी किसी अनजान पेड़ के नीचे खड़े होकर आजतक नहीं रोने दिया| अब्बास मिया ने अपने वादे को बखूबी निभाया|


रजिया बेगम